Sunday, November 11, 2007

Homsickness...

ये मेरी पहली दिवाली थी जो मैंने घर से दूर रहकर मनाई। घर की याद, घर वालो की याद ... सब से घिरी थी मैं। जैसे ही मेरे आसपास के लोगो को पता लगा कि ये मेरी घर से दूर पहली दिवाली है, तो उन्होने मेरे से पूछा homesick feel हो रहा है क्या। उनकी आखों मे मेरे लिए sympathy थी, वैसी ही जैसी किसी मरीज़ के लिए होती है। Sympathy देख कर मुझे बोलना पड़ा, नही ऐसी कोई बात नही है, क्योंकि मैं नही चाहती थी की उनके सामने मैं बेबस या कमज़ोर नज़र आऊँ।

कमज़ोर ... हाँ कमज़ोर ... घर को याद करने वालो को इस सभ्य समाज मे कमज़ोर ही तो माना जाता है। घर से दूर पढ़ने या कमाने आये लोग, अपने घर को, घरवालो को याद नही कर सकते, क्योंकि वो अब समझदार हो चुके है। घर को याद सिर्फ नासमझ बच्चे कर सकते है, या वो जो कमज़ोर होते है। शायद इसीलिए इसका नाम भी "homesickness" रखा है।

Homesickness ... नाम से ही पता चलता है कोई बीमारी है, और जैसे कि बीमारी अच्छी नही होती, वैसे ही ये भी अच्छी नही है। लोग भी अपने आप को स्वस्थ दिखाने के लिए इस बीमारी से मुह फेर लेते है ... फिर चाहे वो कितने ही बीमार ... sorry ... घर को याद करते हो। आख़िर "सभ्य समाज" मे ज़ीना है तो "सभ्य" बनकर ज़ीना होगा। इसके लिए जरूरी है कि इस तरह कि किसी बीमारी के आप शिकार ना हो। और अगर आप शिकार हो भी गए ... homesickness नाम की खतरनाक बीमारी से ... तो आपके शुभचिंतक है ना इसे दूर करने के लिए ... आपको तरह-तरह के नुस्खे, तरह-तरह की सलाह मिल जायेगी बीमारी दूर करने के लिए, और तब तक मिलती रहेगी जब तक आप इस बीमारी से छुटकारा ना पा ले।

अगर कोई "selfrespect" वाला इंसान गलती से homesickness का शिकार हो भी रहा हो तो वो ये बताता नही है, क्योंकि बताने के बाद लोगो को उस से sympathy हो जाती है जो उसके "selfrespect" को ठेस पहुँचाती है। मतलब homesickness नामक बीमारी से आत्मसम्मान को भी खतरा। समाज मे जो आपकी image एक मजबूत इरादों वाले इंसान के रुप मे होती है वो image homesickness की बीमारी के बाद बदलकर "मम्मी का बेटा" या "emotional person" की हो जाती है।

Homesickness ... पर क्या वाकई मे ये बीमारी इतनी खतरनाक है, या ये कोई बीमारी है भी या नही। अपने घर को याद करना क्या गलत है, हालांकि अति अच्छी नही होती, पर क्या कभी भी घर को याद नही करना चाहिए। वो घर जहाँ आपने अपनी जिंदगी का एक हिस्सा बिताया, वो माँ-बाप जिन्होंने अपने खून पसीने से आपकी जिंदगी की बेल को सींचा, वो मिट्टी जिसके अंश अभी भी आपके शरीर मे है ... उसे याद करना क्या गुनाह है, उसको याद करने से क्या "selfrespect" चला जाता है, इंसान कमज़ोर हो जाता है ... ।

जिस घर, घर के लोगो कि वजह से इंसान को उसका आज मिला उसी को याद करने मे उसे हिचकिचाहट होती है सिर्फ इसलिए कि लोग उसे कमज़ोर न समझ ले। पर क्या ये सही है ... या इस मानसिकता मे बदलाव लाने की ज़रूरत है। अंत मे सिर्फ यही कहुँगी -
" घर, घर होता है, घर के लोग और कही नही मिलेंगे, इन्होने तुम्हे तुम्हारा आज दिया है, याद करने का कारण दिया है, फिर याद करने मे शर्म कैसी बल्कि गर्व से याद करो, अनजान लोगो को तो वैसे भी याद नही किया जाता, ये अपने ही है जो दिल के पास रहते है, तो फिर याद करने मे हिचकिचाहट कैसी।"

6 comments:

उन्मुक्त said...

Homesickness स्वाभाविक है। हम सब इसके शिकार कभी न कभी होते हैं बस अन्तर समय का होता है।

Shuba said...

I dont think Home sickness is a sickness at all.. The best thing to do when u think about home is to reach out to them..And the best thing about being away from home is this home sickness.Cause this makes u value your home all the more..

Anonymous said...

Jindgee ki raho main insan hamesha aage badta rahta hai, na jane uski kismat use kaha lejana chahta hai, bus wo nitya karam karta rahta hai, aur hamesha aache ki chahme age aur age badta rahta hai.

Waise aapne Home sickness ki baat kahi hai, main yaha aapse thoda asahmat hu. Because insan kitna hi bada kyo na ho jaye uska Ghar uske liye jananat ke saman aaram dene wala hota hai. Aur ek "Sabhya insan" jiski aapne duahi di he, uska bhi karam hai ki har tyohar har parv pe wo apne abade aur ghar ke sadasyo ka aashirwad le aur jindgee ki har kushi unke sath share kare.

Aur rahai aapki mazburiyo ki baat to main baas itna hi kahunga insan ko sachai se ladna chaheye aur paristhiyo ke sath ladna chaheye.

Keep smiling.........

Ruchi said...

In this post i have not written that homesickness is good or bad .. the post is about how people perceive you when you say that i remember my home, family etc. .. they think that you are emotional person and all that ..
Family is very important and you should remember them when you are not near ... that's what I want to say in this post

Unknown said...

well i read almost all ur posts and found them very intersting... u write well and that too in hindi..yeh hindi ki typing kab sikh li ?? well keep writing gal...

Ruchi said...

thanx ...