Monday, December 31, 2007

प्यार का ताजमहल

प्यार ... दुनिया का सबसे प्यारा एहसास ... विश्वास और अपनेपन के ताने - बाने से बुना हुआ। प्रकृति के द्वारा सिखाया गया एक नायाब पाठ। प्यार के लिए ही दुनियाभर में जाना गया एक मकबरा - ताजमहल। मकबरा होते हुए भी इसे महल का नाम मिला ... शायद इसलिए की इसकी बुनियाद प्यार और विश्वास से रखी गयी है ... किसी के प्यार और विश्वास को कुचल कर नही बनाया गया है इसे।

बहुत लोगो को कहते सुना है मैंने ... हम प्यार करते है और प्यार के लिए घर - परिवार सब छोड़ सकते है। ये वही घर - परिवार छोड़ने की बात करते है ... जिसने इन्हें प्यार की छाँव तले बड़ा किया ... इन पर विश्वास किया। ऐसे लोग किसी का प्यार पाने के लिए ... अपने सपनो को सजाने के लिए ... किसी और के प्यार और विश्वास का खून करने के लिए भी तैयार हो जाते है ... किसी और के सपनो को तोड़कर अपने सपनो का महल बनाना चाहते है ...

किसी के प्यार को ठोकर मारकर वो लोग किसी और के प्यार को पाने और निभाने कि आशा कैसे कर सकते है ... कैसे सोच सकते है की जिस तरह उन्होने किसी के विश्वास को तोड़ा है उस तरह कोई उनके विश्वास को नही तोड़ेगा ... कोई उनके प्यार को ठोकर नही मारेगा ...

किसी और के सपनो की कब्र पर वो अपने सपनो का महल खडा करने की सोचते है .... पर वो भूल जाते है की कब्रों पर मकबरे बना करते है ... महल नही । महल बनाना है तो प्यार और विश्वास के साथ बनाओ ... उनको दफ़न कर के नही ... और इसी प्यार और विश्वास से बने मकबरे को भी महल कहा जाता है ... ताजमहल।