Friday, March 28, 2008

Charity

"Charity" शब्द सुनते ही मेरे दिमाग मे कुछ विभिन्न प्रकार के श्रेणियों के लोगो, जो की "charity" से जुड़े हुए है, की तस्वीर उभरती हैं। ये लोग निम्न श्रेणी मे से किसी भी प्रकार के हो सकते है -
  • जो ना सिर्फ़ "charity" करते है बल्कि अपनी जिम्मेदारियाँ भी अच्छे से निभाते है
  • जो अपनी जिम्मेदारियाँ तो अच्छे से निभाते है पर "charity" से उनका नाता दूर-दूर तक नही होता
  • जिन लोगो के लिए "charity" की जाती है और वास्तव मे वो "charity" के हकदार भी होते है
  • जो लोग सोचते है की दुसरे उनके लिए "charity" कर देंगे, और लोग उनके लिए "charity" करते भी है जबकि वास्तव मे वो इसके हक़दार नही होते है
  • जो लोग "charity" करने का दावा और दिखावा करते है
  • जो दूसरो के लिए तो "charity" करते है पर उनके ख़ुद के लिए लोगो को "charity" करनी पड़ती है

( हो सकता है शायद कोई श्रेणी मैं भूल गई, उसके लिए आपके सुझाव आमंत्रित है)

पहली तीन श्रेणियां तो "charity" से सीधे-सीधे या तो जुड़ी हुई है या नही। आमतौर पर भारतीय मध्यमवर्गीय परिवार दूसरी श्रेणी मे आते है जिनका "charity" से नाता भिखारी को भीख देने तक सीमित होता है। मैं इन लोगो को "charity" ना करने के लिए कुछ नही कहना चाहती, क्योंकि जिम्मेदारियां पहले होती है और अगर आप इन्हे बखूबी निभाते है तो भी काफी होता है कम से कम आप किसी पर बोझ तो नही बन रहे। तीसरी श्रेणी उन लोगो की है जो वास्तव मे "charity" के हक़दार होते है। यहाँ "charity" का मतलब मदद से है "भीख" से नही।

आखिरी तीन श्रेणियों मे वो प्राणी आते हैं जिनके लिए "charity", "charity" ना होकर मजाक होती है। "charity" शब्द का मतलब उनके लिए या तो अपना उल्लू सीधा करना होता है या "charity" शब्द का मर्म तक उन लोगो को पता नही होता।

कुछ लोग ख़ुद काबिल होते हुए भी सिर्फ़ इसलिए काम नही करते क्योंकि कोई दूसरा आकर उनका काम कर देगा, मतलब उनके लिए "charity" कर देगा। दुसरे लोग भी ये सोचकर उनके लिए "charity" करते है की वो किसी की मदद कर रहे है। पर शायद वो ये भूल जाते है की ऐसी मदद ऐसे लोगो को सिर्फ़ अपंग करती है, और कभी-कभी ये लोग समाज के लिए एक बीमारी बन जाते है। ऐसे लोग आपको हर जगह मिल जायेंगे - रोड पर भिखारी के रूप मे(काम करने के लायक होने के बावजूद इन्हे काम करना पसंद नही, आख़िर "charity" करने वालो की कमी थोड़े ना है इनके लिए), स्कूल-कालेज मे आपके साथी के रूप मे (कभी नोट्स तो कभी आपका गृहकार्य चाहिए होता है इन्हे आपसे), तो कभी दफ्तर मे आपके साथी के रूप मे। इनका अपना काम करवाने का अलग ही अंदाज़ होता है। ये आपके पास ऐसा कातर चेहरा लेकर आयेंगे की देखते ही आपको दया आ जाए और उस से भी ज्यादा कातर इनकी आवाज़ होती है जिसे सुनकर मोम दिल इंसान तो पल मे पिघल जाता है। अगर आप नही पिघले तो इनका दूसरा हथियार तैयार है आपके लिए "emotional blackmailing"। अगर ये भी काम न करे तो अगला हथियार तैयार है "वादा", वादा भविष्य मे आपका काम करने का (?) और अभी अपनी मजबूरी बताके काम नही करने का बहाना देने का। आखिरी हथियार याचना होता है, जो की भीख मांगने जैसा होता है। ऐसे लोगो को देखकर लगता है की इन्हे माँगते हुए शर्म भी आती है, पर नही ये तो वहम है। मांगना तो जैसे इन लोगो ने अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझ लिया है। ऐसे लोगो के लिए "charity" करने का मतलब उन्हें बढावा देने जैसा होता है। ऐसे लोगो के लिए मैं यही कहूँगी -

"Do not do charity for those who are able but not doing just because others will do it for them"

अगली श्रेणी मे आमतौर पर भारतीय ऊचावार्गीय परिवार आते है जो "charity" का मतलब अपना काम करवाने से निकालते है। "charity" उनके लिए एक रास्ता होता है उनकी मंजिल तक पहुँचने के लिए। कोई अपनी काली कमाई को छुपाना चाहता है तो कोई नाम कमाना चाहता है तो कोई अपनी काली करतूत छुपाना चाहता ही तो कोई चुनाव जितना चाहता ही - और इन सबको को पाने के लिए एक सीधा सादा उपाय "charity"।

आखिरी श्रेणी मे वो लोग आते है जो "charity" के नशे मे अपनी जिम्मेदारियों से मुह फेर लेते है। उन्हें अपने काम अपने परिवार से कोई लेना-देना नही होता, उनके लिए "charity" ही एक मात्र लक्ष्य होता है। ये लक्ष्य पाने मे वो कितने कामयाब होते है ये तो पता नही पर हाँ दूसरो को इनके और इनकी जिम्मेदारियों के लिए "charity" करनी पड़ती है। ऐसे लोगो के पास "charity" के लिए हमेशा बड़ी-बड़ी योजनाये होती है पर इसमे से ये कितनी पूरी करवा पाते है ये तो पता नही पर हाँ इन्हे ये नही पता होता घर पर क्या हो रहा है, घर के लिए भी इनकी कुछ जिम्मेदारियों है। घर की जिम्मेदारियाँ पूरा करना न सिर्फ़ उनका दायित्व है बल्कि उसे किए बिना ये सोचना की बाहर की जिम्मेदारियों अहम् है, उनकी गलती है। "charity" करना चाहिए पर जब दूसरो को आपके लिए "charity" करनी पड़ जाए, जब आप ख़ुद "charity" के पात्र हो जाए, तो आप "charity" करने के पात्र कैसे हो सकते है। ऐसे लोगो के लिए किसी ने सही कहा है -

"Charity begins at home, but too much of charity sends you to charity home"

अंत मे मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहूंगी की "charity" करने से पहले उसका मतलब समझे, सही इंसान के लिए करे और अपनी जिम्मेदारियों भूल कर ना करे।

3 comments:

Sanket said...

very well written... I liked it very much...!!

Ruchi said...

thanxxx....

Anonymous said...

ok,good..but it seems from your posts that you have a hidden amount of frustation with world around you..i may be wrong...anyways ,keep writing, happy blogging