अफगानिस्तान, तालिबान शासन बुर्को के बीच एक महिला अपना व्यापार करते हुए। सुनने में आश्चर्य जरूर होगा पर सच है। तालिबान शासन, जहाँ औरतों के आने-जाने पर भी पाबंदी थी वहाँ एक महिला ने अपने और अपने परिवार की जीविका के लिए व्यापार शुरू किया। तूफान में जलाया ये चिराग सुबह का सूरज बन गया है आज।
मुश्किलें कई आई, पर उसकी हिम्मत के आगे हारकर झुक गई। ये महिला एक पाठ है उनके लिए जिन्होंने हार को अपनी नियति मान लिया है। वो एक हौसला है उनके लिए जिन्होंने शुरुआत से पहले ही घुटने टेक दिए। अनुकूल परिस्थतियों में तो हर कोई जीत जाता है पर विपरीत परिस्थतियों में में जूझना, जीना और उन्हें अनुकूल बनाने का हौसला कम लोगो में होता है ... और जो ऐसा करते है वो एक मिसाल बन जाते है।
2 comments:
u have a very observational eye. keep going :)
thanxxx...
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