Thursday, January 24, 2008

मकसद जिंदगी का ...

हर जिंदगी में कोई न कोई मकसद होता है ... मकसद सफल होने का ... मकसद शोहरत पाने का ... मकसद पैसा पाने का ... मकसद जिंदगी सुख-शांति से जीने का या कोई और मकसद। इस मकसद को पाने के लिए इंसान उस पथ पर चलता रहता है जो आगे चलकर उसकी मंजिल तक पहुँचाता है।

पर अगर वो मंजिल ही खो जाये ... या मंजिल-पथ काँटो से भर जाए ... या आगे जाने रास्ता बंद हो जाए ... मतलब जिंदगी का मकसद पाना नामुमकिन सा हो जाए तो इंसान को क्या करना चाहिए ... निराशा के दलदल में डूब जाना चाहिए या खुदखुशी कर लेनी चाहिए? क्या मकसद न पाने का मतलब जिंदगी खतम होना होता है?

यही सब सोचते हुए जा रही थी की तभी एक पेड़ दिखा ... और पेडो कि तरह हरा-भरा ... पर फिर भी कुछ अलग। हर पेड़ कि तरह शायद उसका भी सपना आसमान छूना रहा होगा ... और इसे पूरा करने के लिए उसने एक रास्ता बंद होने के बाद दूसरा रास्ता अपनाया। उस पेड़ का मुख्य तना कटा हुआ था ... पर उसे अपना सपना पूरा करना था ... अपनी मंजिल पानी थी और इसलिए तना काटने के बावजूद उसने अपनी मंजिल पाने कि उम्मीद नही छोडी। पेड़ का तना नही था ... पर उसकी शाखाये इतनी बड़ी हो चुकी थी कि वो मानो आसमान छू रही हो और कह रही हो ... जिंदगी सिर्फ एक मंजिल या एक रास्ते तक ख़त्म नही होती। जिंदगी में एक रास्ता बंद हो गया तो दूसरा तलाशो ... और इस तलाश के लिए अपने सपनो पर यकीन, मंजिल पाने कि ललक और उम्मीद का दामन थामे रहने कि जरूरत है। जिंदगी ख़त्म करने से ना मंजिल मिलने वाली और ना ही दूसरी जिंदगी ... सपनो को पूरा करने के लिए ... जो है आज है ... मुश्किलो का सामना कारो ... नया रास्ता तलाशो ... हिम्मत और उम्मीद रखो मंजिल अपने आप सामने नज़र आएगी ...

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