Monday, January 14, 2008

फेके हुए पत्ते ...

आज शिव मंदिर गयी थी। वहाँ लोग पूरी भक्ति भावना से पूजा कर रहे थे ... शिवलिंग को फूल-बील पत्र आदि अर्पण कर रहे थे। कहते है बील पत्र शिव को बहुत प्रिय होते है और शिव को बील पत्र चढाने से हर मन्नत होती है। जहाँ एक और शिवलिंग पूरी तरह बील पत्र से ढके हुए थे वही दूसरी ओर कुछ तिरस्कृत पत्ते पड़े हुए थे। पूछने पर पता चला कि वो पत्ते कही से कटे-फटे थे और ऐसे बील पत्र नही चढाये जाते। जहाँ कुछ बील पत्र अपनी किस्मत पर गर्व कर रहे थे वही तिरस्कृत बील पत्र एक कोने में चुपचाप पड़े हुए अपने आपसे ये गर्व ना पा सकने का कारण पूछ रहे थे। आख़िर दोनो एक ही इश्वर की कृती है और कौन ऐसा होगा जो अपनी ही कृति का तिरस्कार होते देखेगा।

यही सोच रही थी तभी एहसास हुआ की ये कहानी मंदिर तक ही सीमित नही है बल्कि समाज में हर जगह ऐसी ही कोई कहानी चल रही है, कही न कही किसी कृति का अपमान हो रहा है ... चाहे वो कृति विधवा स्त्री हो या एक बेटी या मानसिक रुप से अपंग बच्चा या बुढे माता-पिता हो। वो भी कही से कटे-फटे पत्ते के सामान है जिसे समाज मुख्यधारा के लायक नही समझता और उनका तिरस्कार करना समाज अपना कर्तव्य समझता है।

समाज ये भूल जाता है कि इश्वर ने इन कृतियों को भी उतनी ही तन्मयता और लगाव से बनाया है जितनी किसी और कृति को। ये तो समय के थपेडो ने या हमारी मानसिकता ने उन्हें तिरस्कार करने योग्य वस्तु समझ लिया है। पर इसका मतलब ये नही की इश्वर को ये जो कुछ हो रहा है वो पसंद है ... या इन सब में इश्वर की मौन स्वीकृति है। कोई भी अपनी कृति का अनादार होते हुए नही देख सकता ... फिर ये तो इश्वर है।

इस तरह अपनी ही कृति अनादार होते हुए देखकर क्या इश्वर तुम्हारी मन्नत पूरी करेगा ...? ये कृतियाँ ऐसी है तो इसमे इनका क्या कसूर ... ? क्या ये हमारी गलत मानसिकता का कसूर नही ... ? अगर हमारी मानसिकता गलत है तो इस मानसिकता को हमे अपने आप से अलग करना चाहिऐ या इन मासूमों को समाज से ... ?

6 comments:

Yeshpal said...

Very well written.

Ruchi said...

thanks...

Sanket said...

I liked the analogy and observation...

Ruchi said...

thanx ..

Unknown said...

hey how do u connect such things to life...those patte and zindagi.. nice observation and beautifully connected n written..

Ruchi said...

its an observation and it depends on person to person how they observe each thing ... u also observe things in life but with which u connect it depends on ur thinking, perception etc.. thanx