Tuesday, August 12, 2008

तोहफा

प्यार भरा हर तोहफा कीमती होता है और अगर वो माँ के प्यार और ममता से भरा हो तो वो अनमोल हो जाता है। मुझे माँ से कितने ही तोहफे मिले, और हर तोहफे के साथ मेरा माँ से रिश्ता और मजबूत हो जाता है, कारण तोहफे की मेरे जीवन में अहमियत और महत्व है। जब से घर से दूर आई हूँ, तब से हमारी अनकही बातें, हमारी भावनाएं इन्ही तोहफों के जरिये जाहिर होती आई हैं।

इस बार भी घर से लौटी तो बैग खोलते वक्त समाचारपत्र का एक टुकडा मिला ... मतलब एक और तोहफा माँ का मेरे लिए। पूरे उत्साह के साथ खोला ... पर ये क्या ... खोलते ही उत्साह ठंडा भी हो गया ... ख़ुद पर क्रोध भी आया। समझ न आया क्या कहूँ मम्मी को। वो "सहनशीलता" पर एक लेख था ... मुझे लगा घर पर रहने के दौरान एक दिन जब मुझे क्रोध आया था उस वजह से मम्मी ने ये लेख मुझे दिया है। मुझे अपनी गलती पर पश्चाताप होने लगा।

पूरी रात सोचती रही, आख़िर दुसरे दिन मम्मी से बात की ... तोहफे के लिए धन्यवाद दिया और अपनी गलती मानी। इस पर मम्मी ने कहा - "ये लेख मैंने तुम्हे तुम्हारी गलती बताने के लिए नही भेजा बल्कि इसलिए भेजा की इसे पढो, समझो और जिंदगी में उतारने की कोशिश करो ताकि जिंदगी में गलतियाँ न हो ... ।" वाकई में इस से बड़ा तोहफा क्या होगा।

दुनिया में माँ सबकी अच्छी होती है, प्यार से भरी ... कुछ अपने बच्चो को ग़लत करने से रोकती है, तो कुछ सही-ग़लत समझाती है, कुछ अपने बच्चो की गलतियों पर परदा डालती है, तो कुछ बच्चो को ग़लत करने पर सही करने का रास्ता बताती हैं। पर मेरी माँ ... उन्होंने मुझे उंगली पकड़ चलना सिखाया और जब चलना आ गया तो फिर मुझे ख़ुद रास्ता चुनने के लिए छोड़ दिया। आज भी जब मैं गलती करती हूँ तो वो मुझे ये नही बोलती की तुम ग़लत हो, बल्कि मुझे हर पहलू से सोचने पर मजबूर कर देती है। इसके मंथन के निष्कर्ष में अगर मैं हर पहलू से सही हूँ तो ठीक ... अगर एक भी पहलू से ग़लत हूँ तो मतलब मैंने कही न कही गलती की है। बहुत बार लोग अपने पहलू को देखकर ख़ुद को सही और बाकी सबको ग़लत बताते है ... पर माँ ने मुझे दोनों पहलू देखना सिखाया है ... वो पहलू भी जहाँ से आपको अपनी गलतियाँ नज़र आए।

उनके ऐसे कितने तोहफे हैं जिन्होंने मेरे रास्ते में सूरज तो नही पर दीपक का काम किया है ... उस दीपक को लेकर सूरज की रौशनी में पहुँचने का काम उन्होंने मेरे ऊपर छोड़ दिया है। सिर्फ़ मेरी गलतियाँ ही नही ... मेरा हौसला, मेरा आत्मविश्वास बढाया हैं उनके तोहफों ने ... हमारी अनकही बातो को जाहिर किया है ... दूर होने के बावजूद हमे ही लाये हैं ... और जब कभी अकेली हुई तो उनकी परछाई को अपने अपने पास पाया है ... उनके तोहफों में ...

मुझे इंतज़ार रहेगा माँ आपके तोहफों का हमेशा ...

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