(1) जितनी ज्यादा आपने पढाई की है, मतलब investment किया है, उतनी ज्यादा आपकी salary ...
शायद इसीलिए एक 17-18 साल का लड़का जो दिन भर धूप में बैठकर मोची का काम करता है, लोगो के जूते चप्पल ठीक करता है, इतना भी नही कमा पाता की अपने परिवार का पेट भर सके। वही दूसरी ओर graduation किया एक इंसान ac में 8-10 घंटे काम कर के भी उस से कही ज्यादा कमाता है। लोग मोची को 2 रूपए देने में भी आनाकानी करते है ... पर यही लोग दिखावे के लिए सैकडो खर्च कर देते है। शायद हमारे समाज में अभी भी मानसिक श्रम का महत्व शरीक श्रम से कही ज्यादा है।
पर अगर पहले economics के principle को सही माने तो फिर एक MA करा हुआ इंसान मूंगफली बेच कर भी उतना क्यो नही कमा पाता जितना उसने invest किया है ... या ऐसा कहे कि MA करे होने के बावजूद उसे मूंगफली क्यो बेचनी पड़ रही है ... शायद economics का दूसरा principle इसे समझा सके ...
(2) इंसान को अगर अपनी पसंद का काम ना मिले तो वो unemployed रहते है, इसे frictional unemployment कहते है ...
अगर ऐसा है तो फिर वो मूंगफली क्यो बेच रहा है ... शायद इसलिए कि ..
(3) इंसान कि जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसा चाहिऐ होता है ...
शायद यही वजह है कि पटाखों की factory जैसी खतरनाक जगह बच्चे काम करते है। पढाई - खेलकूद छोड़कर उन्हें पेट भरने के लिए इन factories में काम करना पड़ता है। वही पटाखे जिनके धुए में अमीर अपने पैसे उडाते है। आख़िर सही भी है क्योंकि economics के principle के अनुसार -
(4) economy के चलते रहने के लिए पैसा float होते रहना चाहिऐ। अगर ऐसा नही होता है तो economy डूब जायेगी।
फिर चाहे पैसा पटखो के धुए में उडे या casino में।
Economics के कुछ और principles ...
(5) people face tradeoffs, मतलब इंसान को कुछ पाने के लिए कुछ छोड़ना पड़ता है। शायद इसीलिए लोग तरक्की पाने के लिए, पैसा कमाने के लिए अपने बूढे माँ बाप को भगवान भरोसे छोड़ देते।
(6) people respond to incentives ... इसीलिए तो आजकल बिना भेट दिए आपका काम नही होता ... आख़िर लोग तभी तो काम करेंगे जब उन्हें अपना कुछ फ़ायदा होता दिखेगा।
ऐसी कितनी ही बाते है जिन्हें economics के principles से explain की जा सकती है ... पर क्या वाकई में ये समस्याएं economics की है ... या हमारे social system, education system, thinking की वजह से है? शायद ऐसे कितने ही वाकये है जिन्हें हम अपनी सोच में, अपने रवय्ये में परिवर्तन लाकर के बदल सकते है। पर सवाल ये है की बदलाव लाना कहाँ से होगा ... दूसरो से या अपने से ...
Thursday, January 3, 2008
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