ऑफिस जा रही थी तो रास्ते में रक्तदान शिविर दिखाई दिया। कुछ उत्सुकता जागी कि किसने आयोजित किया है ... नेकी का काम है ... पर कभी-कभी लोग नेकी से ज्यादा और फायदों के लिए भी ऐसा कर लेते है। उत्सुकता सही साबित भी हुई ... राजनीतिक दल शिवसेना ने आयोजित किया था। कुछ अच्छा भी लगा ... कि चाहे फायदे के लिए ही सही पर अच्छा काम तो किया ... और कुछ बुरा भी लगा ... ।
कुछ महीनो पहले हुए वाक्ये याद आ गए। मराठी मानुस का नारा लगाते हुए जिस तरह एक हिन्दुस्तानी और उस पर भी एक इंसान होने के बावजूद लोगो को मराठी ना होने की कीमत अदा करनी पड़ी थी। लोगो को इंसान से ज्यादा एक मराठी ना होने का दर्द सहना पड़ा था ... अपनी कर्मभूमि छोड़ने को कहा गया था ... और नहीं करने पर तरह-तरह के अत्याचार किया गए थे ... । कुछ प्रसिद्द हस्तियों को अपने आपको मराठी होने से पहले एक इंसान होने या एक हिन्दुस्तानी बोलने के लिए विवाद में घसीटा गया था ... । तब ऐसा लगा कि इस रक्तदान शिविर का मकसद क्या है।
कुछ सवाल उठे मन में शिविर को लेकर। सबसे पहले रक्तदान करने वालों को लेकर। चूँकि ये शिवसेना ने आयोजित किया था ... तो क्या सिर्फ मराठी मानुस ही रक्तदान कर सकता है? उस पर भी क्या ये देखा जा रहा है की उसके खून में कोई मिलावट तो नहीं है ... मतलब उसने कभी ऐसे इंसान से तो खून नहीं लिया ना जो मराठी नहीं था? क्या वो कर्म से, वचन से मराठी है ... मतलब कही कोई मिलावट कि गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। फिर सवाल जागे ये रक्त किसको दिया जाएगा ... सिर्फ मराठी को? चाहे कोई इंसान मर जाए ... इंसानियत मर जाए ... हमारा मराठी होने का गर्व नहीं मरना चाहिए ... ।
कभी-कभी लगता है ... एक इंसान से ज्यादा जरुरी होता है ... कि आप एक हिन्दुस्तानी हो या पाकिस्तानी या ऑस्ट्रलियन ... एक मराठी हो या बिहारी ... बहार से यहाँ रहने आये हो या यहाँ के बसने वाले हो ... कौनसी जात के हो ... और भी पता नहीं कितने विभाजन ... ।
अगर कोई इंसान को हम मदद करना चाहते है तो देखते है कि वो कौन ही, क्या है ... पर जब हमे मदद कि जरुरत पड़ती है तो हम इंसानियत कि दुहाई देने लगते है ... कौनसे इंसान का रक्त हमे चढ़ाया जा रहा है ... कौनसा डॉक्टर चढ़ा रहा है ... वो सब बाते पीछे छूट जाती है ... याद रहता है तो बस ये कि जीना है ... पर ये भूल जाते है कि सबसे पहले एक इंसान है और इंसान कि तरह जीना है ... ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
3 comments:
कभी-कभी लगता है ... एक इंसान से ज्यादा जरुरी होता है ... कि आप एक हिन्दुस्तानी हो या पाकिस्तानी या ऑस्ट्रलियन ... एक मराठी हो या बिहारी ... बहार से यहाँ रहने आये हो या यहाँ के बसने वाले हो ... कौनसी जात के हो ... और भी पता नहीं कितने विभाजन ... ।
लेख को पढ़कर अच्छा लगा ........
जाने काशी के बारे में और अपने विचार दे :-
काशी - हिन्दू तीर्थ या गहरी आस्था....
अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये
अच्छा लगा आपका लेख पढ़कर.....
ये सभी बातें विचारणीय हैं.... बड़ी प्रासंगिक प्रस्तुति
Please like the FB page of Mega Blood Donation Drive and show your support for the noble cause ! http://facebook.com/megablooddonationdrive
Post a Comment